Saturday, 23 June 2018

कौन रखता है…!!

पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है,
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है...!!

अपने घर की कलह से फुरसत मिले तो सुने,
आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है...!!

खुद ही पंख लगाकर उड़ा देते हैं चिड़ियों को,
आज कल परिंदों मे जान कौन रखता है..!

हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर,
आज कल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..!!

बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां_बाप को,
आज कल घर में पुराना सामान कौन रखता है…!!

सबको दिखता है दूसरों में इक बेईमान इंसान,
खुद के भीतर मगर अब ईमान कौन रखता है…!!

फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह,
अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है..!!

Tuesday, 5 June 2018

Things to quit...

9 Things to quit:
1. Trying to please everyone
2. Fearing change
3. Living in the past
4. Overthinking
5. Being afraid to be different
6. Beating yourself up over mistakes
7. Sacrificing your happiness for others
8. Thinking you're not good enough
9. Thinking you have no purpose

U r not alone...

REMINDER:
you & your feelings matter.
you’re important.
you’re loved.
you’re beautiful.
you’re good enough.
you’re worth it.
your presence on this earth makes a difference whether you believe it or not.
you have a purpose.
God has a plan for your life.
you’re not alone

Saturday, 16 September 2017

आईना

आईना कुछ नहीं नज़र का धोखा हैं,
नज़र वही आता हैं जो दिल में होता हैं.
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आईना भला कब किसी को सच बता पाया है.
जब भी देखो दांया, तो बायां नज़र आया है.
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अपनी आँखों का सच भी ना कभी दिखा होता ,
ग़र ना अक्स उनका हमें आइने में दिखा होता !
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परखना मत, परखने में कोई अपना नहीं रहता
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता
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घर मेरी उम्मीदों के सरहद पार तेरा है
दिल के आइने में फिर भी इंतज़ार तेरा है
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आईना देखते हैँ वो छुप छुप के बार-बार,
कभी जुल्फेँ बिगाङ कर कभी जुल्फेँ सँवार कर.
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किरआज टूट गया तो बचकर निकलते है,
कल आईना था तो रुक-रुक कर देखते थे.
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दार अपना पहले बनाने की बात क़र,
फिर आइना किसी को दिखने की बात कर.
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आइना और दिल का एक ही फ़साना हैं,
आखिरी अंजाम दोनों का टूट कर बिखर जाना हैं.
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आईने के पीछे रहकर हासिल न कुछ तुम्हे होगा,
सामने आओ आईने के हकीक़त से सामना होग।

Friday, 23 September 2016

उसी की है...

"मुझ में ख़ुशबू बसी उसी की है,
जैसे ये ज़िंदगी उसी की है,
वो कहीं आस-पास है मौजूद,
हू-ब-हू ये हँसी उसी की है,
यानी कोई कमी नहीं मुझ मे,
यानी मुझ में कमी उसी की है,
क्या मिरे ख़्वाब भी नहीं मिरे
क्या मिरी नींद भी उसी की है.