Friday, 23 September 2016

उसी की है...

"मुझ में ख़ुशबू बसी उसी की है,
जैसे ये ज़िंदगी उसी की है,
वो कहीं आस-पास है मौजूद,
हू-ब-हू ये हँसी उसी की है,
यानी कोई कमी नहीं मुझ मे,
यानी मुझ में कमी उसी की है,
क्या मिरे ख़्वाब भी नहीं मिरे
क्या मिरी नींद भी उसी की है.