Friday, 23 September 2016

उसी की है...

"मुझ में ख़ुशबू बसी उसी की है,
जैसे ये ज़िंदगी उसी की है,
वो कहीं आस-पास है मौजूद,
हू-ब-हू ये हँसी उसी की है,
यानी कोई कमी नहीं मुझ मे,
यानी मुझ में कमी उसी की है,
क्या मिरे ख़्वाब भी नहीं मिरे
क्या मिरी नींद भी उसी की है.

Saturday, 27 August 2016

कोई आज पहली बार मिला

" है दिल में प्यार ज़ुबाँ चुप झुकी झुकी नज़रें
अजब अदा से कोई आज पहली बार मिला,
किसी को पा के मेरे दिल का हाल मत पूछो
कि जैसे सारे ज़माने पे इख़्तियार मिला,
किसी ने पूरे किये आज प्यार के वादे
मेरी वफ़ा का सिला मुझ को शानदार मिला,
मैं ख़ुशनसीब हूँ मुझ को किसी का प्यार मिला
बड़ा हसीन मेरे दिल का राज़दार मिला,
मेरे चमन का हर एक फूल मुस्कुराने प्यलगा
वो क्या मिले मुझे मौसम-ए-बहार मिला."

कभी हम न थे कभी तुम न थे

"कभी हम न थे कभी तुम न थे,
ये जिंदगी के लम्हे यूं ही तनहा थे,
बहुत गुजारा पर ये शाम न गुजरी,
कितने फासले तेरे मेरे दरमियां थे,
था पास ही तु दूर न था,
पर खामोशियों के दायरे बेशुमार थे,
चाहा के भी न निकले कुछ लफ्ज़ जुबां से,
क्यों इतने फासले तेरे मेरे दरमियां थे,
हां यह सच है कि जिंदगी तुमही हो
पर यह मेरी जुबान पर कहां थे.."

अजनबी के नाम से भी बन संवर कर देखिये

"अजनबी के नाम से भी बन संवर कर देखिये
टूटकर उसकी मुहब्बत में बिखर कर देखिये,
भूल जाएंगे हरिक मंजिल अदू की आप भी
दोस्ती की राह से इक़ दिन गुज़र कर देखिये,
आएगा बेहद मज़ा जीने का भी लेकिन कभी
ज़िन्दगी में आप रंज-ओ-ग़म तो भर कर देखिये,
ग़र समझना है सियासत की जुबाँ शाबान तो
आप वादे से कभी अपने मुकर कर देखिये"

घर

"जो घर हौसले से बनाये जाते हैं उसे "हाऊस" कहते है,
जिन घरों में होम-हवन होते हैं उन्हें "होम" कहते है,
जिन घरों में हवा ज्यादा चलती है उन्हें "हवेली" कहते हैं,
जिन घरों में दीवारों के भी कान होते हैं उन्हें "मकान" कहते हैं,
जिन घरों के लोन के इंस्टॉलमेंट भरते-भरते आदमी लेट जाता है उन्हें "फ्लैट" कहते हैं,
और जिन घरों में यह भी न पता हो कि *बगल* के घर में कौन रहता है उन्हें *बंगला* कहते हैं"

Thursday, 25 August 2016

Jai shri Krishna

कृष्ण उठत, कृष्ण चलत, कृष्ण शाम-भोर है।
कृष्ण बुद्धि, कृष्ण चित्त,कृष्ण मन विभोर है॥
कृष्ण रात्रि,कृष्ण दिवस,कृष्ण स्वप्न-शयन है।
कृष्ण काल,कृष्ण कला,कृष्ण मास-अयन है॥
कृष्ण शब्द, कृष्ण अर्थ, कृष्ण ही परमार्थ है।
कृष्ण कर्म, कृष्ण भाग्य, कृष्ण ही पुरुषार्थ है॥
कृष्ण स्नेह, कृष्ण राग, कृष्ण ही अनुराग है।
कृष्ण कली, कृष्ण कुसुम, कृष्ण ही पराग है॥
कृष्ण स्वर्ग, कृष्ण मोक्ष, कृष्ण परम साध्य है।
कृष्ण जीव,कृष्ण ब्रह्म, कृष्ण ही आराध्य है॥

Sunday, 21 August 2016

कोई आज पहली बार मिला

"है दिल में प्यार ज़ुबाँ चुप झुकी झुकी नज़रें
अजब अदा से कोई आज पहली बार मिला,
किसी को पाके मेरे दिल का हाल मत पूछो
कि जैसे सारे ज़माने पे इख़्तियार मिला,
किसी ने पूरे किये आज प्यार के वादे
मेरी वफ़ा का सिला मुझ को शानदार मिला,
मैं ख़ुशनसीब हूँ मुझ को किसी का प्यार मिला
बड़ा हसीन मेरे दिल का राज़दार मिला,
मेरे चमन का हर एक फूल मुस्कुराने प्यलगा
वो क्या मिले मुझे मौसम-ए-बहार मिला."

Sunday, 7 August 2016

उसे भूल जा. . .

" किसी आँख में नहीं अश्के ग़म तेरे बाद कुछ भी नहीं है कम,
तुझे ज़िन्दगी ने भुला दिया तू भी मुस्कुरा उसे भूल जा.
मैं तो गुम था तेरे हीं ध्यान में, तेरी आस तेरे गुमान में,
शबा कह गयी मेरे कान में मेरे साथ आ उसे भूल जा.
वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गयी,
दिले बेखबर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा.
कहाँ आके रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा,
जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा."

साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं ..

"साथ चलते आ रहे हैं पास आ सकते नहीं
इक नदी के दो किनारों को मिला सकते नहीं,
देने वाले ने दिया सब कुछ अजब अंदाज से
सामने दुनिया पड़ी है और उठा सकते नही,
इस की भी मजबूरियाँ हैं, मेरी भी मजबूरियाँ हैं
रोज मिलते हैं मगर घर में बता सकते नही,
उस की यादों से महकने लगता है सारा बदन
प्यार की खुशबू को सीने में छुपा सकते नहीं"

Tuesday, 22 March 2016

हैप्पी होली. . . .

प्यार के रंग से भर पिचकारी,
स्नेह के रंग से रंग दो दुनिया सारी,
ये रंग ना जाने कोई जात ना कोई बोली,
आपको हमारी तरफ से हैप्पी होली.
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हर रंग आप पे बरसे,
हर कोई आपसे होली खेलने को तरसे,
रंग दे आप को सब इतना,
की आप रंग छुड़ाने को तरसे.
- - - -
परियों के रंग दमकते हो,
खुशियों के जाम छलकते हो,
महबूब नसे में चहकते  हो,
तब देखो बहारे इन होली की,
जब फाल्गुन में रंग झमकते हो.
- - - -
होली आज मनाना है,
तुमको रंग लगाना है,
प्रतिकार करो या इंकार करो,
पर रंगों को स्वीकार करो,
रंगों से तुम्हे नेह्लाना है.
होली आज मनाना है.
- - - -
होली के रंगों की मेहक ही अलग होती है,
कुछ रिश्तों की बात ही अलग होती है,
कुछ यूँ सजा है होली का ये त्यौहार,
अपनों की भेजी हुई सौगात अलग होती है.
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Sunday, 20 March 2016

It's You . . .


It isn't the money you're making,
it isn't the clothes you wear,
And it isn't the skill of your good right hand which makes folks really care.
It's the smile on your face and
the light of your eye and the burdens that you bear.

Most any old man can tell you, most any old man at all,
Who has lived through all sorts of weather, winter and summer and fall,
That riches and fame are shadows that dance on the garden wall.
It's how do you live and neighbor, how do you work and play,
It's how do you say "good morning" to the people along the way,
And it's how do you face your troubles whenever your skies are gray.

It's you, from the dawn to nighttime; you when the day is fair,
You when the storm is raging - how do you face despair?
It is you that the world discovers, whatever the clothes you wear.

You to the end of the journey,
kindly and brave and true,
The best and the worst of you gleaming in all that you say and do,
And the ting that counts isn't money,
or glory, or power, but YOU!

I wish . . .

I wish I may, I wish I might,
For something good to come in sight.
I wish to see my shinning star,
And maybe it will come tonight.

And with that star I plan to wish,
For all I love to come to me.
My hopes and dreams I will soon see,
All that's needed is to wish for thee.